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विद्यार्थी मामले की टीम


मधु वडाली, पीएच.डी. | सह-डीन, छात्र कल्याण

मधु सदा एक छात्र की तरह रहेंगे जिनकी जीवनशैली में हमेशा सीखने की जगह रहती है तथा उन्हें विद्यार्थियों से बातचीत करना सुहाता है। वे खूब जोश से क्रिकेट खेलते और यात्राएं करते हैं। शिक्षण और अनुसंधान का अंतर:विषयक अनुभव होने के कारण, मधु भा.प्रौ.सं. गांधीनगर के छात्रवर्ग के लिए एक व्यापक परिप्रेक्ष्य लेकर आए हैं।

मधु को विद्युत अभियांत्रिकी में बी.ई., ओसमानिया विवि, हैदराबाद और विसकॉनसिन मेडिसन विश्वविद्यालय से यांत्रिक अभियांत्रिकी में एम.एस. एवं पीएच.डी की उपाधि प्राप्त है। भा.प्रौ.सं. गांधीनगर में संकाय पद पर आने से पहले वे हैलीबर्टन ग्लोबल अनुसंधान के शोध एवं विकास अभियांत्रिकी के प्राचार्य थे। उनकी शोध रुचियों में स्मार्ट उत्पादन, नियंत्रण प्रणालियां, रोबोटिक्स एवं मेकाट्रॉनिक्स शामिल हैं।

अभय गौतम, पीएच.डी. | करियर विकास सेवा प्रमुख एवं नियुक्ति संयोजक

एक परीक्षणकर्ता के रूप में अभय ने असफलता के गुणों के बारे में काफी सीखा है तथा वे छात्रों को अपनी सफलता की खुशी मनाने के साथ-साथ अपनी असफलताओं से सीख लेने को प्रेरित करते हैं। वर्तमान में सी.डी.एस. टीम के सदस्य के रूप में, वे छात्रों के साथ कार्य करने में आनंद लेते हुए आशा रखते हैं कि इससे छात्रों के जीवन में कोई बदलाव आएगा। अपने खाली समय में उन्हें भ्रमण करना, तथा नई-नई रुचियाँ और कौशल सीखना अच्छा लगता है।

अभय को रूड़की विवि से बी.ई., बिर्मिंघम के अलबामा विवि से एम.एस. और वर्जीनिया विवि से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त है। वे भा.प्रौ.सं. गांधीनगर में संकाय के रूप में कार्य करने से पूर्व लॉरेंस बर्कले राष्ट्रीय प्रयोगशाला में पोस्टडॉक्टोरल फेलो थे। आणविक मापक की संरचना तथा पदार्थ के व्यवहार पर प्रभाव डालने वाले प्रतिभास के विषय में शोध करना उन्हें पसन्द है।

शंमुगनाथन रमण, पीएच.डी. | अंत:शिक्षुता संयोजक

शंमुगनाथन को कक्षा में पढ़ाना तथा स्वयं पढ़ना अच्छा लगता है। खासकर उन्हें प्रचलित विज्ञान विषय, व्यक्तित्व विकास से संबंधित कार्य और मानव मस्तिष्क तथा विकास अच्छा लगता है।

शंमुगनाथन भा.प्रौ.सं. गांधीनगर में विद्युत अभियांत्रिकी और संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के सहायक प्रोफेसर हैं। उन्होंने भा.प्रौ.सं. मुंबई से एम.टेक और पीएच.डी. किया है। उनकी शोध रुचियों में संगणक दृष्टि, संगणक फोटोग्राफी, संगणक ग्राफिक्स और मशीन लर्निंग शामिल हैं।

भास्कर दत्ता, पीएच.डी. | छात्र परामर्श सेवा प्रमुख

भास्कर एक श्रोता हैं। वे छात्रों से उनकी असफलताओं या उपलब्धियों से निरपेक्ष होकर उनसे जुड़ जाते हैं। वे आत्म-निर्भरता पर बहुत विश्वास रखते हैं।

उनके पास कार्नेजी मेल्लन से पीएच.डी., भा.प्रौ.सं. कानपुर से एम.एससी. तथा दिल्ली विवि के सेण्ट स्टीफन विद्यालय से बी.एससी. की उपाधि है। उनके शोध कार्य और शिक्षण में कई रासायनिकी एवं जैविक अभियांत्रिकी विषय शामिल हैं। उन्हें खाना पकाना, यात्रा करना, पढ़ना, प्रश्नोत्तरी और लिखना पसन्द है। किसी दिन वे अपनी नाटक में रुचि को पुनर्जीवित करना पसन्द करेंगे।

जॉयसी मेकी, पीएच.डी. | सह-प्रमुख, छात्र परामर्श सेवा

डा. जॉयसी मेकी विद्युत अभियांत्रिकी की संकाय सदस्य हैं। वे भा.प्रौ.सं. मुंबई से पीएच.डी. उपाधि ग्रहण कर के भा.प्रौ.सं. गांधीनगर में संकाय पद पर नियुक्त हुईं। उन्होंने वडोदरा के एम.एस. विवि से अवरस्नातक एवं अधिस्नातक की उपाधियां प्राप्त किया है। उनकी शोध रुचि वी.एल.एस.आई. आर्किटेक्चर और डिजाइन, मेमोरी, सर्किट और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए मेमोरी इत्यादि में है।

अक्शा वटवानी, पीएच.डी. | संयोजक, संचार एवं जीवन कुशलता कार्यक्रम

मुझे अध्यापन और छात्रों से बातचीत करना पसन्द है, और मेरा मानना है कि छात्र भी संस्थान के विकास में उतना ही सहयोग करते हैं जितना कि संस्थान उनके विकास में करता है। मैंने किंग्सटन के क्वीन्स विवि से गणित में पीएच.डी. किया और उसके बाद वॉटरलू विवि में पोस्टडॉक्टोरल पद पर कार्य किया। मेरी शोध रुचि संख्या सिद्धांत में है, मोटे तौर पर मुझे प्रमुख संख्याओं के मौलिक प्रश्नों में दिलचस्पी है। गणित के अतिरिक्त, मुझे उपन्यास पढ़ना, लेखन और चित्र बनाना पसन्द है।

अर्नब दत्ता, पीएच.डी. | वार्डन, छात्र कल्याण

अर्नब मानते हैं कि छात्र जीवन केवल शिक्षा के इर्दगिर्द नहीं घूमना चाहिए। विद्यार्थी जीवन सांस्कृतिक, सामाजिक और खेल-कूद के पाठ के बिना अधूरा है। इस उद्देश्य के साथ, अर्नब परिसर में छात्रों से बात करते हैं जिससे उनको पूर्ण रूप से परिसर का अनुभव प्राप्त हो सके, क्यूंकि एक उत्साही और जीवंत विद्यार्थी इकाई ही एक स्वस्थ शैक्षणिक संस्थान का नेतृत्व कर सकती है।

अर्नब ने 2015 में भा.प्रौ.सं. गांधीनगर से जुड़ने से पहले एरिज़ोना राजकीय विवि से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की और कुछ समय के लिए पैसिफिक नॉर्थवेस्ट राष्ट्रीय प्रयोगशाला में पोस्टडॉक्टोरल की तरह कार्य किया। आजकल वे नवीकरणीय ऊर्जा प्रयोग के लिए जैविक-प्रेरित उत्प्रेरक को विकसित करने पर कार्य कर रहे हैं। अर्नब को खाली समय में उपन्यास पढ़ना और फुटबॉल/क्रिकेट देखना अच्छा लगता है।

शिवप्रिया किरुबाकरन, पीएचडी । संयोजक, छात्रावास सुविधाएं

अभी भी दिल से युवा विद्यार्थी, शिवप्रिया, जीवन्त विद्यार्थी मामले की टीम का एक हिस्सा होने पर खुश हैं। वे दृढ़ता से विश्वास करती हैं कि विद्यार्थियों तथा संकाय के मध्य स्वस्थ सम्बन्ध भा.प्रौ.सं. गांधीनगर की बुनियाद को बहुत मजबूत बनाएगा।

वे एक रसायन जीव विज्ञानी हैं तथा उन्होंने अपना पीएच.डी. (जैविक रसायन विज्ञान) भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलोर तथा पोस्ट-डॉक्टरल शोध (कैंसर जीव विज्ञान) हार्वर्ड तथा एमआइटी से प्राप्त किया है। वे कैंसर तथा संक्रामक रोगों के लिए कम लागत की खोज में छोटे अणुओं का प्रयोग करते हुए विभिन्न कोशिका मार्ग अन्वेषण करने के लिए इच्छुक हैं। विज्ञान के अतिरिक्त वे यात्रा करना तथा खाना बनाना पसन्द करती हैं।

गोपीनाधन केलन, पीएच.डी. | सलाहकार, खेल-कूद

गोपीनाधन खेल-कूद को बहुत प्रोत्साहित करते हैं तथा मानते हैं के यह एक मज़बूत चरित्र, नेतृत्व गुणों, व्यक्तित्व के विकास, और एक टीम की तरह कार्य करने में सहायक होता है तथा सबसे महत्वपूर्ण यह एक स्वस्थ्य जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। एक बैडमिण्टन खिलाड़ी के रूप में उद्देश्य कि सभी छात्र कम से कम एक खेल अवश्य अपनाएं जिससे कि देश में खेल में उत्कृष्टता का स्तर लाया जा सके। वे चाहते हैं कि ऐसा माहौल बने जिसमें सभी को बाहर निकलना और अपनी-अपनी रुचि का खेल खेलना पसन्द हो। खाली समय में उन्हें अपनी दो अन्य पसंदीदा रुचियां गायकी, एवं यात्रा करना भी अच्छा लगता है।

उनको भा.प्रौ.सं. दिल्ली से पीएच.डी. तथा भा.प्रौ.सं. कानपुर से एम.टेक. की उपाधि प्राप्त है। उन्होंने सिंगापुर राष्ट्रीय विवि में शोध वैज्ञानिक पद पर तथा यू.के. के मैनचेस्टर विवि से मेरी क्यूरी फेलो के रूप में कार्य किया है। उनकी शोध रुचियों में नेनोफ्लूइडिक्स, द्वि-आयामी बहुसंरचनाएं, चुंबकीय संवेदक तथा सतहों और इंटरफेस की भौतिकी शामिल हैं।

बारध्वाज कोलप्पा, पीएच.डी. | सलाहकार, व्यायामशाला

बारथ एक भौतिकविज्ञानी हैं जो आणविक भौतिकी के एक मानक मॉडल से संबंधित समस्याओं, विशेषकर हिग्स बॉसन पर कार्य करते हैं। वे भा.प्रौ.सं. मद्रास से एम.एससी., तथा मिशिगन राजकीय विवि से पीएच.डी. प्राप्त कर चुके हैं। वे छात्रों को पढ़ाई के अलावा अपनी सेहत पर भी ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जैसे कहावत है कि कॉरपोर सेनो में मेन्स साना। सामर्थ्य प्रशिक्षण पर ध्यान देने से लंबे समय में स्वास्थ्य और दीर्घायु पर प्रभाव पड़ता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, वे भा.प्रौ.सं. गांधीनगर व्यायामशाला सभी समुदाय सदस्यों को इस्तेमाल करने के लिए आमंत्रित करते हैं, और भविष्य में छात्रों के सहयोग से संस्थान में एक विश्वस्तरीय व्यायामशाला सुविधा स्थापित करना चाहते हैं।

अतुल दीक्षित, पीएच.डी. | सलाहकार, सांस्कृतिक गतिविधियां

स्वंय एक गायक एवं तबला वादक होने के नाते, अतुल को हमेशा सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि रहती है। अपने पीएच.डी. के दिनों में वे एक संगीत बैण्ड ‘अनुभूति’ का हिस्सा थे। वे कई बार टी.वी. तथा संगीत कार्यक्रमों में प्रदर्शन दे चुके हैं। वे कई संगीतकारों जैसे श्रीधर फडके, केनवुड डेन्नार्ड, आदित्य कल्याणपुर और महेश काले के साथ प्रदर्शन कर चुके हैं। वे दृढ़तापूर्वक छात्रों को सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तथा मानते हैं कि इससे व्यक्ति का पूर्ण विकास होता है।

अतुल ने टेक्सस टेक विश्वविद्यालय से गणित में अधिस्नातक और अर्बाना-शैम्पेन के इलिनॉइस विवि से गणित में पीएच.डी. किया है। वे दोनों ही विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्र संघ के सांस्कृतिक समन्वयक थे। उनकी शोध रुचि विश्लेषणात्मक संख्या सिद्धांत और विशेष समीकरणों में है।

एस. राजेन्द्रन, एम.टेक. | सलाहकार, तकनीकी गतिविवधियां

एस. राजेन्द्रन विद्युत अभियांत्रिकी के सह-अध्यापन प्राध्यापक हैं जिन्हें औद्योगिक क्षेत्र में काफी अनुभव प्राप्त है। सार्वजनिक क्षेत्र और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में डिज़ाइन, विनिर्माण और उत्पाद विकास में बहुमूल्य अनुभव प्राप्त करने के बाद अपनी अध्यापन में रुचि के कारण वे वर्ष 2011 में भा.प्रौ.सं. गांधीनगर से जुड़ गए। उनकी शोध रुचि लचकदार संरचना का नियंत्रण और विद्युत ऊर्जा परिवर्तक में है।

तेज़ और युवा मस्तिष्क वाले छात्रों की टीम के साथ, प्रो. राजेन्द्रन तकनीकी गतिविधियों का संयोजन करने के लिए उत्सुक रहते हैं जिससे छात्र समुदाय पुरस्कार जीतने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रदान करे और भा.प्रौ.सं. गांधीनगर को कार्य करने, सीखने और मौज-मस्ती के स्थान की तरह स्वीकार करे।

मनीष कुमार, पीएच.डी. | छात्रों के लिए बाह्य अध्येतावृत्तियां, छात्रवृत्तियां एवं पुरस्कार

मनीष को छात्रों से कक्षा के अंदर हो या बाहर, उनसे बातचीत करना पसन्द है। वे विभिन्न अभिकरणों के पुरस्कार जीतने के लिए छात्रों की मदद करते हैं।

उन्होंने 2008 में भा.प्रौ.सं. कानपुर से अवर-स्नातक किया, और बाद में वहीं से अधिस्नातक का अध्यापन जारी रखा। वे संरचनात्मक और भूकंप अभियांत्रिकी में डॉक्टोरल अध्ययन करने के लिए सनी बफैलो गए। उनकी रुचि काँक्रीट इमारतों की चिनाई, भूकंपीय खतरे और उनकी जांच, तथा भूकंप के दौरान इमारतों की संरचना की प्रतिक्रिया के नियंत्रण में है।

प्रो. मिथुन राधाकृष्ण, पीएच.डी. | संयोजक, उच्च शिक्षा एवं औद्योगिक यात्राएं

प्रो. मिथुन राधाकृष्ण को सीखने के सिद्धांत पर बहुत विश्वास है जिसमें कार्य करके सीखने की पद्धति इस्तेमाल हो। वे मानते हैं कि छात्र के समस्त विकास के लिए यह आवश्यक है। इसलिए, सी.डी.एस. के हिस्से के रूप में, वे छात्रों को औद्योगिक यात्राएं करवाते हैं जिससे सैद्धांतिक समझ और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बीच की दूरी कम हो सके।

सं.रा.अ. के कोलंबिया विश्वविद्यालय से प्राप्त रासायनिक अभियांत्रिकी में उनके डॉक्टरेट कार्यक्रम से उनको यह समझने में बहुत मदद मिली है कि छात्रों में वैज्ञानिक रुचि बढ़ाने में उच्च शिक्षा कितना सहायक सिद्ध हो सकती है। सी.डी.एस. के हिस्से के रूप में, मिथुन छात्रों के साथ कार्य करना चाहते हैं जिससे वे छात्रों को उन्नत शिक्षण प्राप्त कराने में सहायता प्राप्त करा सकें।

चेतन पहलाजानी, पीएच.डी | खोजी अध्येतावृत्ति एवं ग्राम अध्येतावृत्ति

चेतन गणित के सहायक प्रोफेसर हैं और उनकी शोध रुचि संभाव्यता सिद्धांत में है; खासकर कि वे स्विचिंग के साथ विभिन्न आयाम वाली प्रणालियों में यादृच्छिक शोर के प्रभाव में रुचि लेते हैं। उन्होंने अर्बाना-शैम्पेन के इलीनॉइस विवि से गणित में पीएच.डी. किया है।

छात्र मामले के टीम का सदस्य होने के नाते, चेतन की जिम्मेवारी खोजी अध्येतावृत्ति और ग्राम अध्येतावृत्ति की है: भा.प्रौ.सं. गांधीनगर के दो अद्भुत कार्यक्रम जिसके तहत, विद्यार्थियों को अपने अलग ढंग से भारतीय विभिन्नता का अनुभव प्राप्त होता है। अपने खाली समय में उन्हें रहस्यात्मक/रोमांचक साहित्य पढ़ना, फिल्में देखना और लंबी सैर पर जाना पसन्द है। उन्हें खेल-कूद भी काफी प्रिय है और वे किसी दिन अपना पसंदीदा टेनिस खेलना चाहेंगे।

उमा शंकर सिंह, पीएच.डी. | संयोजक, छात्र एकीकरण

उमाशंकर सिंह जैविक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के सहायक प्रोफेसर हैं और उन्हें कोषिका होमियोस्टेटिस तथा गैर-ऑनकोजीन आसक्ति के क्षेत्र में रुचि है। उन्हें कोषिका और ऊतक जैविकी पढ़ाना पसन्द है तथा वे वैज्ञानिकी खोजों के पीछे जाने की कला के बारे में विचार करते हैं। अपने छात्रों के समस्त विकास के लिए उनसे बातचीत के दौरान वे “अच्छे नौकर और बुरे मालिक” का उदाहरण देते हैं।

छात्र मामले की जीवंत टीम का हिस्सा बनकर, उमाशंकर अपने सहयोगियों से नए तरीकों से समन्वय स्थापित करते हैं जिससे छात्र समुदाय के साथ-साथ संस्थान का भी एकीकरण हो सके।

जयचंदर स्वामीनाथन, पीएच.डी. | आई.एम.एस. संपर्क

जयचंदर यांत्रिक अभियांत्रिकी संकाय में सहायक प्रोफेसर हैं। उनका शोध क्षेत्र ऊष्मा विज्ञान, विशेषत: ऊर्जा दक्षता पर केंद्रित है।

छात्र मामले टीम में आई.एम.एस. संपर्ककर्ता के रूप में वे उम्मीद करते हैं कि वे छात्रों का संस्थान की सेवाओं तक पहुंचना और सुगम बना सकेंगे।